बुलंद आवाज न्यूज़
देहरादून
एसबीआई फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित और एटी इंडिया द्वारा संचालित ‘सशक्ति परियोजना’ के अंतर्गत लाखामंडल, धौरा, दत्तरोटा, गडसार, बिजनू और सावड़ा गाँवों की 80 महिला लाभार्थियों ने पहली बार मशरूम की खेती शुरू की है। यह उनके लिए आत्मनिर्भरता और सतत आजीविका की दिशा में एक नया कदम है।
ऑयस्टर मशरूम की फसल अब तैयार हो चुकी है, जबकि बटन मशरूम की फसल नवंबर के अंत तक तैयार हो जाएगी। अक्टूबर माह के अंत तक इन महिलाओं ने केवल एक महीने में लगभग 200 किलो ऑयस्टर मशरूम की फसल प्राप्त की है। प्रोटीन, फाइबर, आयरन, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर ऑयस्टर मशरूम न केवल परिवारों के पोषण स्तर को बढ़ा रही है बल्कि स्थानीय बाजारों में औसतन ₹150 प्रति किलो के भाव से बिक भी रही है।
पिछले वर्ष की सफलता से प्रेरित होकर, 25 अन्य स्थानीय ग्रामीणों ने भी परियोजना दल के मार्गदर्शन में मशरूम की खेती की दिशा में अपनी यात्रा प्रारंभ की है।
एटी इंडिया के कृषि/बागवानी विशेषज्ञ के अनुसार, लाखामंडल क्षेत्र की ठंडी जलवायु मशरूम की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल है। उन्होंने कहा कि “सीमित संसाधनों और उचित तकनीकी मार्गदर्शन के साथ, सर्दी के मौसम में मशरूम खेती पहाड़ी क्षेत्रों के परिवारों के लिए एक भरोसेमंद आय का माध्यम बन सकती है।”
इस वर्ष भी, एटी इंडिया टीम द्वारा लाभार्थियों को हर चरण पर मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान किया जा रहा है ताकि बेहतर उत्पादन और अधिक आमदनी सुनिश्चित की जा सके।






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