बुलंद आवाज़ न्यूज
सोनिया मिश्रा/ देहरादून।
देहरादून स्थित दून अस्पताल में चिकित्सा विज्ञान ने एक बार फिर करिश्मा कर दिखाया है। यहां सिर्फ दो महीने के एक शिशु की जटिल हृदय सर्जरी बिना किसी चीरे के की गई जिसके बाद से यह सर्जरी राज्य के सरकारी चिकित्सा तंत्र की दक्षता और समर्पण का उदाहरण बन गई है।
हरबर्टपुर निवासी उस्मान एक महीने पहले अपने नवजात बेटे को लेकर देहरादून आए थे, जब बच्चे की सांस तेज चलने और अस्वस्थता के लक्षण दिखे तो वे बच्चे को अस्पताल जांच के लिए आए जहां निमोनिया की पुष्टि हुई साथ ही डॉक्टरों ने हृदय की जांच कराने की सलाह दी।
ईको जांच में बच्चे के दिल में एक छेद और ऑर्टिक वाल्व में गंभीर संकुचन भी दिखाई दिया। बच्चे की स्थिति को देखते हुए उस्मान दून अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग की ओपीडी में लाए, जहां प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों ने सर्जरी की आवश्यकता बताई लेकिन पहले निमोनिया का इलाज करना जरूरी समझा गया।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तन्वी सिंह की निगरानी में बच्चे का इलाज हुआ। कई दिनों तक प्रयास के बावजूद जब बच्चा ऑक्सीजन सपोर्ट से मुक्त नहीं हो पाया, तब सर्जरी का निर्णय लिया गया। करीब एक घंटे चली इस सर्जरी में बिना चीरा लगाए बालून तकनीक की मदद से बच्चे के सिकुड़े हुए वाल्व को खोला गया। इस प्रक्रिया को Balloon Aortic Valvotomy कहा जाता है। ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ. अतुल सिंह ने अहम भूमिका निभाई।
दोनों हृदय रोग एक-दूसरे को जटिल बना रहे थे – डॉ. अमर उपाध्याय
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय ने बताया कि बच्चे के दिल में दो जन्मजात समस्याएं थीं, जिनमें से एक समस्या दूसरी को और जटिल बना रही थी उन्होंने बताया कि पहले हार्ट के विभिन्न चैंबरों से ब्लड सैंपल लेकर स्थिति को समझा गया और फिर सावधानीपूर्वक बालून ऑर्टिक वाल्वोटॉमी की गई। डॉ. ने खुशी के साथ बताया ऑपरेशन सफल रहा और बच्चा अब स्वस्थ है और कल मंगलवार को डिस्चार्ज किया जाएगा।
इस जटिल प्रक्रिया को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. ऋचा, डॉ. साई जीत, डॉ. अस्मिता, डॉ. शोएब और डॉ. अल्फिशा जैसे युवा डॉक्टरों ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
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