संस्कृत प्रेमियों ने सरकार को आंदोलन के लिए दी चुनौती जानिए वजह

बुलंद आवाज़ न्यूज
चमोली. 16 अक्टूबर और 23 अक्टूबर 2023 को सरकार के नए शासनादेश के बाद संस्कृत महाविद्यालय के शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बन गई है. जिसका असर छात्रों की पढ़ाई में दे रहा है.

दरअसल संस्कृत महाविद्यालयों के 38 नियमित शिक्षकों को उच्च शिक्षा सेवा लाभ सम्बन्धी (GO) तत्कालीन संस्कृत शिक्षा सचिव आर0 मीनाक्षी सुन्दरम द्वारा हस्ताक्षरित 13 मई 2022 को वित्त विभाग से स्वीकृत हुई. लेकिन 13 मई 2022 को वित्त विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद भी शासनादेश जारी नहीं किया गया है, बल्कि सभी संस्कृत महाविद्यालयों को उत्तर मध्यमा स्तर का कर आदेश भी जारी किया गया. जबकि संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय परिनियमावली 2007, 2009 और 2011 के भाग 3 के उपनियम bylaw 7.4 के अनुसार होता है और इन्हीं शिक्षकों के द्वारा महाविद्यालय की कक्षाओं में अध्यापन करवाया जा रहा है.

श्री बदरीनाथ -केदारनाथ कर्मचारी संघ के पूर्व सचिव एवं वर्तमान वरिष्ठ सदस्य अरविन्द प्रकाश पन्त ने सरकार को आगाह किया है कि यथाशीघ्र संस्कृत महाविद्यालयों के लिए स्पष्ट शासनादेश जारी करें, जिससे शास्त्री/ आचार्य कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का भविष्य प्रभावित न हो, साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालय 100 वर्षों से भी पहले से चल रहें हैं उन संस्कृत विद्यालयों की वित्तिय स्वीकृति वर्तमान सरकार पूर्व मध्यमा (कक्षा 10) एवं प्रथमा (कक्षा 8) की मान रही है, पूर्व से इन संस्कृत विद्यालयों से कार्यरत प्रधानाचार्य उत्तर मध्यमा (कक्षा 12)स्तर के वेतन ग्रेड 7600 पर नियुक्ति हुई है और सेवानिवृत्त हो गए हैं और कुछ प्रधानाचार्य 7600 ग्रेड पे ले रहे हैं. सरकार के द्वारा दिनांक 16 अक्टूबर 2023 एवं 23 अक्टूबर 2023 को जो आदेश जारी किया है उसको शीघ्र वापस लिया जाय नहीं तो संस्कृत प्रेमियों एवं संस्कृत संगठनों को आंदोलन करने पर बाध्य होना पड़ेगा। इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।

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