बुलंद आवाज़ न्यूज
सोनिया मिश्रा/ चमोली: अगर आप भी गर्मियों से परेशान हो चुके हैं और प्रकृति के नजारों के बीच शांति और सुकून की जगह है तराश रहे हैं तो यह रिपोर्ट आपके लिए हैं. हर साल की तरह इस साल भी प्रकृति का दीदार करने वाले प्रकृति प्रेमियों के लिए विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी ( value of flower) खुल चुकी है. जहां पहले ही दिन फूलों का दीदार करने के लिए देश विदेश से कई सैलानी पहुंचे हैं।
इस दौरान वन विभाग द्वारा सैलानियों का फूलों की घाटी के मुख्य गेट पर स्वागत भी किया गया. जून महीने में 62 सैलानियों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन करवाया है. विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी जहां की 300 से अधिक देशी -विदेशी फूल खिलते हैं इस घाटी का दीदार करने के लिए हजारों की संख्या में जून से लेकर अक्टूबर तक सैलानी पहुंचते हैं.
गौरतलब है कि यह भारतीय राष्ट्रीय उद्यान है,यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में स्थित है और यह स्थानिक अल्पाइन फूलों के मैदानों और वनस्पतियों की विविधता के लिए जाना जाता हैयह समृद्ध विविधता वाला क्षेत्र दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों, पक्षियों का घर भी है।समुद्र तल से लगभग 3,658 मीटर की ऊंचाई पर है , फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल हैं, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान रिजर्व यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल है।
फूलों की घाटी कैसे पहुंचे?
फूलों की घाटी की यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है. यह एक छोटा गांव है जहां हरिद्वार या ऋषिकेश से सड़क मार्ग से आप आराम से पहुंच सकते हैं. इसके बाद गोविंदघाट से घांघरिया गांव के बीच करीब 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होगी. ट्रेक के अगले चरण में घांघरिया से फूलों की घाटी तक 4 किलोमीटर की चढ़ाई शामिल है. यानी आपको करीब 16-17 किलोमीटर लंबा ट्रेक यहां पहुंचने के लिए चढ़ना होगा. वैसे घांघरिया से 6 किलोमीटर आगे सिख तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब भी है. आप चाहें तो ट्रेक करके वहां भी जा सकते हैं.
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