बुलंद आवाज़ न्यूज़
रुद्रप्रयाग
केदारनाथ यात्रा में अभी तक जो भी हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं वह सभी सिंगल इंजन के ही है। जबकि डबल इंजन के हेलीकॉप्टर यहां कम ही देखने को मिले हैं। विशेष अवसरों पर ही डबल इंजन के हेलीकॉप्टर केदारघाटी की दुर्गम पहाड़ियों के बीच उड़ान भरते दिखते हैं।
हेलीकॉप्टर कंपनी के सूत्रों के अनुसार केदारनाथ के लिए अधिकांश हेलीपैडों से उड़ने वाले हेलीकॉप्टर सिंगल इंजन के ही होते हैं जबकि वीवीआईपी ही डबल इंजन के हेलीकॉप्टर में केदारनाथ आते हैं।
हालांकि यात्रियों की सुरक्षा के लिए कभी भी सिंगल इंजन के हेलीकॉप्टर को लेकर सरकार, यूकाडा और प्रशासन सर्तक नहीं रहा। वहीं दूसरी ओर यात्रियों की सुरक्षा में लगातार लापरवाहियां बरती जा रही है। पूर्व में कई बार हेलीकॉप्टर के अनियंत्रित होने के साथ ही मानकों की अनदेखी की खबरें आती रही हैं। हालांकि कुछ घटनाओं में प्रशासन ने हेली कंपनियों पर कार्रवाई भी की।
वहीं दूसरी ओर केदारनाथ जैसे कठिन और विषम परिस्थिति वाले क्षेत्र में पायलेट के पास विशेष अनुभव की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। सूत्र बताते हैं कि यहां पहाड़ी क्षेत्रों में हेली सेवा का विशेष अनुभवन रखने वाले पायलेट ही सफल हो पाते हैं। दूसरी ओर केदारनाथ में मौसम पल, पल बदलता है।
हेली उड़ान के दौरान सुरक्षा इंतजाम के कोई इंतजाम नहीं
प्रदेश में हेली सेवाएं फल फूल रही हैं, लेकिन हेली उडान के दौरान एटीसी की तर्ज पर सुरक्षा का कोई तंत्र अब तक विकसित नहीं हुआ है। ऐसे में उड़ान के बाद सबकुछ पायलट की सूझबूझ पर निर्भर होता है। प्रदेश में हेलीपेड की सुरक्षा भी पूरी तरह निजी कंपनियों के हवाले हैं। सरकार और डीजीसीए की भूमिका नाममात्र की बचती है।नागरिक उड्डयन विभाग के अनुसार केदारघाटी में संचालित नौ में से आठ हेलीपेड निजी कंपनियों के हैं। एक हेलीपैड सरकारी क्षेत्र की कंपनी पीएसयू संचालित करती है। इन हेलीपेड की निगरारी पूरी तरह निजी कंपनियों की ही होती है। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग सिर्फ सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी में जीएमवीएन के जरिए ऑफलाइन टिकट काउंटर ही संचालित कर पाता है।
इसके अलावा केदारनाथ में उकाडा स्टॉफ हेली उड़ान की लॉग बुक भरने का ही काम कर पाता है। विभाग की मुख्य भूमिका किराया तय करना और उड़ानों की संख्या को नियमित करना ही है। किसी भी शिकायत को विभाग डीजीसीए को भेजता है।
डीजीसीए भी शिकायत पर आती है
इसके अलावा धाम खुलने पर सेवा शुरू करने से पहले डीजीसीए की टीम यहां हैलीपेड पर फायर सेफ़्टी, लैंडिंग, टेकऑफ सुरक्षा इंतजार की जांच करने आती है। एक बार ऑपरेटर को एनओसी मिल गई तो फिर एजेंसी की टीम कोई शिकायत मिलने पर ही आती है।
डीजीसीए पायलट का अनुभव और हेलीकॉप्टर की जांच भी अपने स्तर पर ही करती है। इस तरह उड़ान के दौरान हेली सेवा का दारोमदार सिर्फ पायलट की सूझ बूझ पर निर्भर रहता है। रास्ते में मौसम खराब होने से लेकर किसी भी तरह की आपात स्थिति में सिर्फ
पायलट की सूझबूझ ही काम आती है।
राज्य नागरिक उड्डयन विभाग का काम मुख्य रूप से हेलीपेड का विकास करना है। इसके अलावा हम केदारनाथ के लिए किराया थी तय करते हैं। उड़ान संबंधित तकनीकी निगरानी देश भर में डीजीसीए ही करती है। हेलीपेड का संचालन भी संबंधित कंपनी करती है। स्थानीय प्रशासन भीड़ प्रबंधन में ही सहयोग देता है।
सी रविशंकर, सीईओर उकाडा
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