बुलंद आवाज़
चमोली
उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड ने कुछ समय पहले ही बोर्ड परीक्षा का अपना नया पैटर्न जारी किया जिसमें बोर्ड द्वारा अब सभी विषयों में 20 नंबर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं कराई जाने की बात कही गई, निश्चित ही बोर्ड का यह नया पैटर्न छात्रों में विषय संबंधी एक नई सृजनात्मकता को जन्म देगा।
बहरहाल इस बीच राजकीय इंटर कॉलेज आदिबद्री की छात्रा निकिता नेगी द्वारा चांदपुर गढ़ी का एक अनोखा मॉडल तैयार किया गया है, जो कि वास्तव में देखने योग्य है।
चमोली जिले के चांदपुर गढ़ी का यह निकिता मॉडल गढ़ राजवंश के सुनहरे अतीत का दर्पण है, जो बताता है कि चांदपुर गढ़ी का अमिट इतिहास आज भी अपनी यादों के अवशेष के साथ मौजूद हैं।
इतिहास के पन्नों पर नज़र डालें तो उत्तराखंड में आठवीं नवीं शताब्दी में बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल मची थी, गढ़वाल क्षेत्र में अनेक छोटे-छोटे राज्य बनने लगे थे और माना जाता है कि, इसी दौरान चांदपुर गढ़ी में भानुप्रताप नामक शासक (ठकुरी राजा ) के काल में धारनगर (गुजरात ) से कनकपाल नाम का एक राजकुमार बद्रीनाथ की यात्रा पर आए जो अपनी यात्रा के दौरान चांदपुर गढ़ भी गए। इस दौरान चांदपुर गढ़ पर राजा भानुप्रताप का शासन हुआ करता था। कहते हैं कि गुर्जर प्रदेश के इस राजकुमार से भानुप्रताप अत्यधिक प्रभावित होता हैं और अपनी पुत्री का विवाह कनकपाल से कर देता है। साथ ही दहेज के रूप में चांदपुर गढ़ का संपूर्ण राज्य भी कनक पाल को सौंप देता हैं।
राजा कनकपाल को गढ़वाल के पंवार वंश का संस्थापक माना जाता है, 888 ई० में कनक पाल ने चांदपुर गढ़ से ही पंवार वंश की नींव रखी थी। गढ़वाल में 52 गढ़ हैं जिनके नाम पर इसे गढ़देश भी कहा जाता है और उन्हीं में से एक
चांदपुर गढ़ है जो कि सबसे शक्तिशाली गढ़ माना जाता है।
पंवार वंश की प्रारंभिक राजधानी चांदपुर गढ़ ही थी बाद में राजा अजय पाल ने अपने शासनकाल के दौरान यह राजधानी देवलगढ़ और श्रीनगर स्थानांतरित की। राजा अजय पाल ही वह शासक था जिसने गढ़वाल के 52 गढ़ो को विजित किया। राजा अजयपाल को गढ़-पति व गढ़ो वाला जैसे नामों से भी जाना जाता है।
कई बुद्धिजीवियों का यह मानना भी है कि पंवार वंश ही वह वंश था जिसमें गढ़वाल नाम सर्वप्रथम प्रचलन में आया। गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक समय तक रहा। भले ही शत-प्रतिशत इतिहास जो भी रहा हो लेकिन आज भी चांदपुर गढ़ी में मौजूद अवशेष बहुत
कुछ बयां करते हैं। गढ़वाल के इन 52 गढ़ों का जिक्र गढ़ रत्न नेगी जी ने अपने इस गीत में भी किया है –
बीरू भडू कु देश, बावन गडू कु देश
बीरू भडू कु देश, बावन गडू कु देश ।
जय जय बद्री केदार आऽऽऽऽ ओ ओ ओsssss।
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