बुलंद आवाज न्यूज
चमोली
उत्तराखंड में वैसे तो कई जगह हैं जहां आप घूम सकते हो सुकून के पल अपने दोस्तों के साथ बिता सकते हो लेकिन क्या कभी सोचा है कि दोस्तों के साथ स्वर्ग की सीढ़ियों से पहाड़ के सुंदर नजरों का लुत्फ उठायेंगे?अगर आप नहीं जानते हो स्वर्ग की सीढ़ियों में जाने का रास्ता तो यह रिपोर्ट आपके लिए है.
यह है कहानी स्वर्ग की सीढ़ियों की!
महाभारत के 18 अध्यायों में 17वे अध्याय, महाप्राथनिका पर्व, में लिखा है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पाँचों पांडव भाइयों ने अपनी पत्नी द्रौपदी में साथ सन्यास ले लिया और महल और राज्य को छोड़, तपस्या के लिए निकल पड़े. तपस्या का ये सफर उन्हें हिमालय के पहाड़ों के बीच ले आया. स्वर्ग की ओर अपने इस आखिरी सफर पर बढ़ते हुऐ हर किसी को एक-एक कर अपने कर्मों का फल मिलने लगा. सबसे पहले द्रौपदी की मृत्यु हुई. सहदेव इस यात्रा को पूरा न कर सके इसके बाद नकुल और अर्जुन की मृत्यु हुई फिर भीम. एक एक कर युधिष्ठिर को छोड़कर सभी पांडव रास्ते में ही अपने प्राणों को छोड़ते गए. यह माना जाता है कि एक कुत्ते के वेश में छुपे धर्म के साथ युधिष्ठिर ने स्वर्ग की सीढ़ियां यहीं चढ़ी थी. महाभारत के इस अंश में यह भी बताया जाता है कि बिना मानवीय शरीर छोड़े यही स्वर्गरोहिणी का रास्ता है जहाँ से आप स्वर्ग जा सकते हैं.
ट्रेकिंग के लिए है स्वर्ग की सीढियां मशहूर!
स्वर्गारोहिणी जाने के लिए आपको शारीरिक रूप से मजबूत होना जरूरी है. उसके बाद आपको जोशीमठ से बद्रीनाथ तक टैक्सी से आना होगा. फिर बद्रीनाथ से लक्ष्मीवन, लक्ष्मीवन से चक्रतीर्थ, चक्रतीर्थ से सतोपंथ ताल, सतोपंथ ताल से चंद्रकुंड ट्रेक, चंद्रकुंड से सूर्यकुंड तक ट्रेक, सूर्यकुंड से स्वर्गारोहिणी बेस कैंप (17987 फीट) तक पहुंच जाओगे.
कैसे पहुंचे?
बाय रोड माणा गांव तक जाने के लिए सड़क सुविधा उपलब्ध है.
बाय एयर निकटतम गौचर.
बाय ट्रेन निकटतम ऋषिकेश
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