बुलंद आवाज न्यूज़
थराली (चमोली)।
पिंडर घाटी का थराली क्षेत्र इन दिनों आपदा की मार झेल रहा है। 22 अगस्त को आई आपदा के बाद से यहां की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। संपर्क मार्गों के टूटने के कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। बुधवार को भी सांस की बीमारी से जूझ रही महिला को ग्रामीणों ने 11 किलोमीटर तक डंडी–कंडी के सहारे अस्पताल पहुँचाया।
ग्राम पंचायत कुनी पार्था की निवासी बचूंली देवी पत्नी गवर सिंह पटवाल अचानक सांस की गंभीर समस्या से पीड़ित हो गईं। आसपास कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं होने और सड़क मार्ग बंद होने के कारण परिजनों व ग्रामीणों ने उन्हें अस्पताल ले जाने का निश्चय किया। लेकिन हालात इतने खराब थे कि मरीज को खाट (डंडी–कंडी) पर बैठाकर 11 किलोमीटर तक ऊबड़–खाबड़ रास्तों, चट्टानों और ढलानों से गुजारना पड़ा। कई घंटे की कठिन पैदल यात्रा के बाद मरीज को थराली तक लाया गया।
जनप्रतिनिधि लापरवाह, प्रशासन गुमनाम; मरीज परेशान
स्थानीय ग्रामीण पूरन सिंह पटवाल ने बताया कि थराली विधायक भूपाल राम टम्टा को इस गंभीर समस्या की जानकारी पहले ही दे दी गई थी। बावजूद इसके विधायक की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। परिणामस्वरूप मरीज को चट्टानों के बीच से खतरनाक रास्तों से निकालते हुए थराली लाना पड़ा। यहां से परिजनों ने निजी वाहन की व्यवस्था कर महिला को देहरादून के बड़े अस्पताल पहुंचाया।
थराली का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) आपदा की चपेट में आने के बाद अस्थायी रूप से दूसरी जगह संचालित किया जा रहा है। लेकिन वहां भी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है। न तो पर्याप्त चिकित्सक उपलब्ध हैं और न ही दवाइयों की समुचित आपूर्ति हो रही है। गंभीर बीमारियों के मरीजों को या तो घंटों का पैदल सफर कर नजदीकी मोटर मार्ग तक पहुंचना पड़ता है, या फिर मजबूरी में निजी वाहनों के सहारे देहरादून और श्रीनगर जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं आज “बिजी का जंजाल” बन गई हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हों या सामुदायिक, सभी जगह संसाधनों की कमी साफ झलकती है। सरकारी दावों और योजनाओं के बावजूद दूरस्थ गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुँच पाई हैं।
22 अगस्त को आई आपदा ने थराली और आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई। कई संपर्क मार्ग पूरी तरह से टूट गए, पुल बह गए और सड़कों पर भूस्खलन का मलबा जमा हो गया। अब भी कई गांवों तक वाहनों की पहुंच संभव नहीं है। राहत और पुनर्वास कार्य प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी रफ्तार बहुत धीमी है।
कुनी पार्था समेत कई ग्राम पंचायतों में पेयजल योजनाएं ध्वस्त हो चुकी हैं। सड़क मार्गों का बंद होना स्थानीय लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है। ऐसे में मरीजों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि वे लगातार अपनी समस्याओं से जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को अवगत करा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात नहीं सुधर रहे। विधायक और अन्य अधिकारी सिर्फ आश्वासन देने तक सीमित हैं।
पूरन सिंह पटवाल ने कहा,अगर समय रहते सड़क मार्ग और स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली पर ध्यान दिया गया होता, तो मरीज को इस तरह डंडी–कंडी से ले जाने की नौबत नहीं आती।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि दशकों पहले डंडी–कंडी ही पहाड़ों में मरीजों और प्रसूताओं को अस्पताल पहुंचाने का जरिया हुआ करता था। लेकिन अब 21वीं सदी में भी उसी हालात का सामना करना पड़ रहा है। यह सरकार और प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है।
स्थानीय महिला माया देवी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों की स्थिति बेहद खराब है। स्वास्थ्य केंद्रों में न तो एम्बुलेंस सुविधा है और न ही आपातकालीन इलाज की व्यवस्था। लोग मजबूरी में जोखिम उठाकर पैदल सफर करते हैं।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि सरकार तुरंत बंद पड़े मार्गों की बहाली कराए और स्वास्थ्य केंद्रों को संसाधनों से लैस करे। मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों और हेलीकॉप्टर सेवा जैसी सुविधाएं आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल लागू की जानी चाहिए।
सामुदायिक स्तर पर लोग एकजुट होकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाने में सहयोग दे रहे हैं। लेकिन यह मानवीय प्रयास स्थायी समाधान नहीं है। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं और मार्गों को दुरुस्त करे।
थराली क्षेत्र की यह घटना केवल एक परिवार की परेशानी नहीं, बल्कि पहाड़ों की जमीनी सच्चाई को सामने लाती है। आपदा के बाद से यहां के लोग हर दिन संघर्ष कर रहे हैं। जहां सरकार और प्रशासन की लापरवाही है, वहीं ग्रामीणों का साहस और जुझारूपन भी दिखाई देता है।
बचूंली देवी को डंडी–कंडी से अस्पताल पहुँचाने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहद दयनीय है। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएँ और भी बढ़ सकती हैं।
More Stories
चमोली: मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया निरीक्षण; मृतकों के परिजनों को बांटी 5-5 लाख की सहायता राशि
गोपेश्वर: धन सिंह रावत होश में आओ… के मशाल जुलूस के साथ उग्र हुआ छात्रों का आंदोलन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एयर इंडिया एक्सप्रेस की देहरादून-बेंगलुरु हवाई सेवा का किया शुभारंभ