देहरादून: पहाड़ों में तबाही मचा रहा बारिश का पानी, 2 महीने में हुई कुल 78 मौतें, आज भी हैं कई लापता

बुलंद आवाज़ न्यूज

चमोली

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में हमेशा से ही मानसून की बारिश बेहद डरावनी देखी गई है. और इस साल भी दो महीने पहले शुरू हुई बारिश भयंकर तबाही लेकर आई जिसमें अब तक कुल 78 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 47 लोग घायल हुए हैं, वहीं 18 अब भी लापता हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मृत्यु भूस्खलन के कारण हुई हैं।

राज्य का कोई ऐसा पर्वतीय जिला नहीं है, जहां भवनों, सड़कों, आदमियों के साथ साथ जानवरों को भूस्खलन के कारण नुकसान नहीं पहुंचा हो। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश का पानी पहाड़ों में रिसकर भूस्खलन का बड़ा कारण बन रहा है। इस वर्ष मार्च में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) भूस्खलन पर आधारित मानचित्र रिपोर्ट में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में भूस्खलन से खतरा बताया था

इस रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है, जबकि भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड का 72 प्रतिशत यानि 39 हजार वर्ग किमी क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है।

1988 और 2022 के बीच उत्तराखंड में भूस्खलन की 11,219 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वर्ष 2015 से अब तक उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाओं में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस वर्ष अकेले रुद्रप्रयाग जिले में 15 जून से अब तक प्राकृतिक आपदाओं में 19 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।

 

केदारनाथ यात्रा मार्ग के पास गौरीकुंड में चार अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद से 15 अन्य लोग लापता हैं। वैज्ञानिक और स्थानीय लोग चिंतित हैं, क्योंकि मानसून के एक महीने से अधिक समय शेष रहते हुए पिछले साल की तुलना में लगभग पांच गुना ज्यादा भूस्खलन हुआ है। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र की ओर से जारी डाटा के अनुसार, 2022 में 245 की तुलना में इस वर्ष 1,123 भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं।

360 से अधिक डेंजर स्लिप जोन चिह्नित

अल्मोड़ा-95, बागेश्वर-14, नैनीताल-15, पिथौरागढ़-4, चंपावत-3, उत्तरकाशी-7, चमोली-27, रुद्रप्रयाग-33, टिहरी-96, देहरादून-14, पौड़ी-22, हरिद्वार-3

(आंकड़े लोनिवि के अनुसार)

एचएनबी गढ़वाल विवि के प्रोफेसर यशपाल सुंदरियाल का कहना है कि बारिश के पैटर्न में बदलाव, बादल फटने, अचानक बाढ़ और मूसलाधार बारिश जैसी मौसम की घटनाओं में वृद्धि भूस्खलन का एक बड़ा कारण है। पहाड़ों में निरंतर सड़क और सुरंग निर्माण से जुड़े बुनियादी ढांचे का विकास भी एक बड़ा कारण है।

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