बुलंद आवाज़ न्यूज
देहरादून
वीपीडीओ भर्ती धांधली में आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी के मालिक राजेश चौहान, उसके भाई और एक कर्मचारी को भी आरोपी बनाया गया है। इन तीनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इस मामले में अब तक आरबीएस रावत समेत कुल नौ आरोपी शामिल किए गए हैं। सभी इस वक्त सुद्धोवाला जेल में बंद हैं।
वर्ष 2016 में हुई वीपीडीओ (ग्राम पंचायत विकास अधिकारी) भर्ती परीक्षा में धांधली का पता चलते ही इसे निरस्त कर दिया गया था। उस वक्त शासन स्तर पर एडीजी की अध्यक्षता में बनी समिति से इसकी जांच कराई गई थी। वर्ष 2019 में जांच विजिलेंस को सौंप दी गई, जिसके बाद विजिलेंस ने जनवरी 2020 में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। गत 25 अगस्त को इस मुकदमे की जांच एसटीएफ के सुपुर्द की गई।
एसटीएफ ने ओएमआर शीट की फोरेंसिक रिपोर्ट, गवाहों के बयान और पहले जेल जा चुके आरोपियों के बयानों के आधार पर तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार कर लिया था।
विजिलेंस कोर्ट में पेश किया गया
जांच के दौरान पता चला था कि इस परीक्षा की ओएमआर शीट आरएमएस कंपनी ने ही स्कैन की थीं। इसके लिए कंपनी का मालिक राजेश चौहान, उसका भाई संजीव चौहान और एक कर्मचारी विपिन बिहारी भी इनसे मिले हुए थे। जिस मकान में फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया, वहां पर आयोग के तीनों अधिकारी, विपिन बिहारी, सीईओ राजेश पाल समेत सात लोग मौजूद थे।
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि पहले दर्ज किए जा चुके बयानों और संकलित साक्ष्यों के आधार पर मंगलवार को राजेश चौहान, उसके भाई संजीव चौहान और विपिन बिहारी को विजिलेंस कोर्ट में पेश किया गया था। इन तीनों को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
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